श्री चंडिकायै नमः
जय जय हो विश्व जननी |जय जय हो प्रणव रुपिणी|
जय जय दैत्य दलिनी| मूळप्रकृती महामाये |
जय जय दश मुख विराजिनी| जय जय अष्टादश भुजा धारिणी |
जय जय अष्ट भुजा कमल लोचनी त्रय रुपात्मिका देवी |
तू रूपे धरुनी अनेक | दुष्टासी शासन करिसी देख |
आणि निजभक्तासी रक्षक | होसी नारायणी तू |
त्रिप्रकाराची देवी जाण| विश्वरूप सर्व आपण |
चंडीका दुर्गा भद्रा म्हणोन |बहु नामे वर्णिती |
जय अखिलार्थदायक भगवती | तव नाम स्मरण आणिता चित्ती |
सर्व विघ्नाची होऊनी शांती | पुरती इष्ट मनोरथ |
ऐसा देवी तव महिमा |न कळे वेदादिकासी सीमा |
लीन होऊनी स्वये ब्रह्मा |तव चरणी स्थिरावला |
जय जय अंबिके शंकर प्रिये | मूळप्रकृती महामाये |
तव नाम स्मरणे संकट जाये | तृणअग्नीन्यायवत |
जय भवदुःख विनाशिके | भक्त पालके दुष्टातंके|
उत्पती स्थिती संहारके | जय अंबे तुज नमो |
तू अनंत अवतार धरुनी |दुष्ट जना करिसी शासन |
आणि नीज दासाचे रक्षण | आनंदे करिसी अंबे तू |
नमो देवी भवानी| अखिल जगतत्रय जननी |
हरिहर ब्रह्मादी कालागुनी | इच्छा मात्रे वर्तविसी |
आणि सृष्ठिचा दुर्गम | चालविसी अनुक्रम |
त्या तुज माये प्रमाणे | जगन माते सर्वदा |
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